Saturday, June 15, 2019

Murudeshwara Mythology In Hindi

मुरुदेश्वर पौराणिक कथा
रावण की माँ प्रति दिन सागर किनारे मिटटी का शिवलिंग बनाकर अभिषेक और पूजा करती थी।समुद्र के पानी से शिवलिंग हर दिन नष्ट हो जाता था।रावण यह दृश्य हर दिन देखता था। एक दिन रावण ने अपनी माँ से पूछा क्यू इस मिटटी के शिवलिंग की पूजा करती हो। रावण की माँ ने कहा मरने के बाद मुझे कैलास में स्थान मिलेगा। रावण ने अपनी माँ से
कहा मै कैलास को ही यहाँ लेकर आता हु।रावण घोर तपस्या करने लगा। कई दिनों तक रावण घोर तपस्या करता रहा लेकिन शिवजी प्रकट नहीं हुये। रावण को घुस्सा आया उसने अपने मजबूत हाथो से कैलास को ही उठा लिया और हिलाने लगा। सभी देवी देवता भयभीत हो गये और शिवजी के पास चले गये और रावण से कैलास को बचाने की गुहार लगाने लगे। 

शिवजी रावण के सामने प्रकट हो जाते है और उसे वर मांगने को कहते है। रावण शिवजी से अपनी माता के लिए कैलास पर्वत को मांगता है। शिवजी अपनी आत्मा से शिवलिंग बनाते है और रावण से कहते है मै तुम्हे आत्म लिंग देता हु। यह साक्षात् मेरे समान है।लेकिन इसे लंका लेकर जाते समय धरती पर रखना नहीं है। रावण आत्मलिंग लेकर लंका जाने लगता है।सभी देवता गण चिंतिति हो जाते है। अगर रावण आत्मलिंग लंका ले जाने में सफल होता है तो वह बहुत ही शक्तिशाली हो जायेगा और उसे हराना नामुमकिन हो जायेगा।इस समस्या का हल निकालने नारदमुनि गणेशजी के पास जाते है। गणेशजी मदत करने को राजी हो जाते है। 

रावण गोकर्ण के पास पहुँचता है। गणेशजी एक बालक का रूप लेकर गाय चराने का बहाना करते है। श्री विष्णु जी अपने सुदर्शन चक्र से सूर्य को ढक देते है। रावण को लगता है सूर्यास्त हो गया है अभी संध्या पूजा करने का वक्त हो गया है।रावण बालकरूपी गणेशजी को देखता है। रावण उस बालक से कहता है मै संध्या पूजा करने जा रहाहु मेरे लौटने तक यह आत्मलिंग पकड़ कर रखे। गणेशजी शिवलिंग को हाथ में रखते है और एकशर्त रखते है।मुझसे यह शिवलिंग ज्यादा देर उठाया नहीं जायेगा मै तीन बार आपको पुकारूंगा। अगर आप नहीं आये तो वह आत्मलिंग धरतीपर रख देंगे।रावण संध्या पूजा करने समुद्र की और बढ़ता है। रावण जैसेही संध्या पूजा करने समुद्र में बैठते है। गणेशजी जल्दी जल्दी रावण को तीन बार पुकारते है। तीन बार पुकारने के बाद भी रावण नहीं आता है।तो गणेशजी शिवलिंग को धरती पर रख देते है। रावण देखता है गणेशजी शिवलिंग को धरती पर रखने जा रहे है।रावण दूरसे ही मना करते है। गणेशजी जैसे ही शिवलिंग धरती पर रखते है। देवता गणेशजी पर फूलो की बौछार करने लगते है। तभी रावण समज जाता है यह कपट देवता ओ द्वारा किया गया है।

 रावण गणेश रूपी बालक को पकड़ते है और उनके सर पर चोट पहुंचाता है।शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश करता है। रावण के इसी घुस्से से आत्मलिंग लिंग की सभी सामग्री जो आत्मलिंग को ढके हुये थी वह फेक देता है। उस लिंग की डब्बिया ,ढक्कन ,धागा और वस्र अलग अलग जगह पर फेक देता है। यह चार सामग्री जिस जगह गिरती है वही लिंग के रूप में स्थापित हो जाती है।जिस वस्र से आत्मलिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर जिसे अब मुरुदेश्वर कहते है। वहा जाकर गिरा और शिवलिंग स्थापित हो गया।             
मुरुदेश्वर के दर्शनीय स्थल 

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