ओंकारेश्वर में भक्तगण कामनापूर्ति के लिए नर्मदा जल लेकर मान्धाता पर्वत की परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा करीब ७ किलोमीटर की परिक्रमा है।परिक्रमा करने में चार से पांच घंटो का समय लगता है।
परिक्रमा की शुरुआत द्वीप के दक्षिण छोर से होती है, ओंकारेश्वर मंदिर के ठीक नीचे 'कोटि तीर्थ' है।कोटि तीर्थ में स्नान कर यात्रा की शुरवात की जाती है।कहा जाता है कि यदि आप ओंकारेश्वर की यात्रा करते हैं तो आपको पैदल ही इस परिक्रमा के लिए जाना चाहिए।आप नाव से भी परिक्रमा कर सकते है।अगर आप चलने में सक्षम हैं तो चलना बेहतर है। यह वास्तव में एक आनंददायक परिक्रमा मार्ग है।नर्मदा के साथ कावेरी का संगम स्थल आपके दिल को चुरा लेगा। शक्तिशाली कावेरी उत्तर की ओर से बहती है। लोग यहाँ स्नान करते हैं। पहाड़ी रास्ते पर आपको नर्मदा के पुराने अवशेषों और किलों के अवशेष देखने को मिलेंगे। इस संगम पर जाने के बाद, आप प्राचीन मुक्तेश्वर मंदिर का दर्शन कर पायेंगे। आप कावेरी के तट पर चलते समय ऊपर पहाड़ियों पर रास्ते में स्थानीय गोंड, भील लोग के गाँव देखने को मिलते है। परिक्रमा मार्ग काफी अच्छा है।परिक्रमा मार्ग पर शिव, गणेश, लक्ष्मी जैसे देवताओं के साथ और भी कई मंदिर हैं।
परिक्रमा मार्ग पर बने कुछ प्राचीन मंदिर
ऋण मुक्तेश्वर मंदिरपरिक्रमा की शुरुआत द्वीप के दक्षिण छोर से होती है, ओंकारेश्वर मंदिर के ठीक नीचे 'कोटि तीर्थ' है।कोटि तीर्थ में स्नान कर यात्रा की शुरवात की जाती है।कहा जाता है कि यदि आप ओंकारेश्वर की यात्रा करते हैं तो आपको पैदल ही इस परिक्रमा के लिए जाना चाहिए।आप नाव से भी परिक्रमा कर सकते है।अगर आप चलने में सक्षम हैं तो चलना बेहतर है। यह वास्तव में एक आनंददायक परिक्रमा मार्ग है।नर्मदा के साथ कावेरी का संगम स्थल आपके दिल को चुरा लेगा। शक्तिशाली कावेरी उत्तर की ओर से बहती है। लोग यहाँ स्नान करते हैं। पहाड़ी रास्ते पर आपको नर्मदा के पुराने अवशेषों और किलों के अवशेष देखने को मिलेंगे। इस संगम पर जाने के बाद, आप प्राचीन मुक्तेश्वर मंदिर का दर्शन कर पायेंगे। आप कावेरी के तट पर चलते समय ऊपर पहाड़ियों पर रास्ते में स्थानीय गोंड, भील लोग के गाँव देखने को मिलते है। परिक्रमा मार्ग काफी अच्छा है।परिक्रमा मार्ग पर शिव, गणेश, लक्ष्मी जैसे देवताओं के साथ और भी कई मंदिर हैं।
परिक्रमा मार्ग पर बने कुछ प्राचीन मंदिर
नाम से ही पता चलता है जो भी भक्त यहाँ श्रद्धाभाव से चने की दाल चढ़ाता है उसे मोक्ष मिल जाता है।पुनरजन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है। यह मंदिर कावेरी और नर्मदा के द्वितीय एवं अंतिम समागम पर स्थित है।
गौरी सोमनाथ मंदिर
गौरी सोमनाथ मंदिर तारे के आकार का बहुत ही सुन्दर वास्तुकला का नमूना है।यहाँ ६ फुट ऊँचा चमकदार काले पत्थर से निर्मित शिवलिंग है।शिवलिंग अत्यंत ही प्राचीन है।शिवलिंग के समान काले पत्थर की नंदी की मूर्ति मंदिर के बाहर स्थित है।
सिद्धनाथ मंदिर
यह मंदिर वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। इसे एक विशाल न्याध्रार से आधार दिया गया है जिसके चारों ओर विभिन्न मुद्राओं में ५० हाथियों की मूर्तियां गढ़ी गयी हैं। ये मूर्तियां ५ फुट ऊँची हैं। इनमे से बहुतांश मुर्तिया क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। मंदिर के मध्य हिस्से में चारोओर से प्रवेश की व्यवस्था है और सभा मंडप भी बने है।हर सभामंडप में १४ फुट ऊंचाई के १८ पठार के स्तंभ हैं। जिनपर सुन्दर आकृतियाँ उकेरी गयी हैं।
आशापुरी देवी मंदिर
आशापुरी मंदिर राव परिवार की कुलदेवी एवं प्राचीन जनजाति की पूज्य देवी का मंदिर है।इस मंदिर की देखभाल मान्धाता क्षेत्र के राव परिवार द्वारा की जाती है। इस मंदिर में देवी की प्रतिमा अत्यंत ही सुन्दर है।
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